अब रेडिएशन थेरेपी से होगा कोविंड मरीजो का इलाज

अब रेडिएशन थेरेपी से होगा कोविंड मरीजो का इलाज

 हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ने दिल्ली में सफल परीक्षण के बाद रेडिएशन से कोरोना मरीजों के फेफड़ों के इलाज की तैयारीयों में जुटी हुई है ।

इससे म्यूरोमाइकोसिस तात्पर्य ब्लैक फंग्स की संभावना भी कम होगी । फिलहाल अब गुजरात के राजकोट में इसका प्रयोग शुरु किया जा रहा है । इस थैरेपी के द्वारा कैंसर की तरह ही रेडिएशन दिया जाता हैं, लेकिन इसकी मात्रा अत्यंत कम होती है ।

मात्र 40 सेकंड के लो डोज रेडिएशन ट्रीटमेंट को एक बार लेने से फेफड़े के इन्फलामेंट्री सेल निष्क्रिय हो जाते हैं । इससे फेफड़ों में पानी भरना बंद हो जाता हैं । फिर फेफड़े पूरी तरह साफ हो जाते हैं । एम्स, दिल्ली और पटना में परीक्षण के दौरान हफ्ते-भर में ही मरीजों में 80 % फिसदी सुधार देखा गया ।

जानकरी के मुताबिक यह तकनिक पहले भी अपनाई जाती थी । लगभग 1940 के  दशक में रेडिएशन थेरेपी की शुरुआत हुई थी । राजकोट के आन्कोलाजिस्ट डॉ केतन कालारिया का कहना है 👉  कई सालों पहले बैक्टीरियल न्यूमोनिया  के मरीजों के फेफड़ों को बचाव के लिए एक्स रे मशीन के द्वारा इलाज किया जाता था । एंटीबैक्टीरियल की रिसर्च के बाद यह इलाज बंद कर दिया था । 

वायरस से होने वाले न्युमोनिया में जब कोई दवा काम नहीं करतीं तब फेफड़ों को बचाव के लिए यह तकनिक कारगर साबित हो सकती हैं । डा केतन के अनुसार आक्सीजन का स्तर यदि 90% फिसदी घट जाए तो फेफड़ों में पानी भरना शुरु हो जाता हैं ।

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