आपने पृथ्वी पर नग्नावस्था में बाबा, साधु, संत या कहें भगवान का अवतार माने जाने वाले पुरूषों को भ्रमण करते हुए देखा होगा ।
क्या..? यह नग्न अवस्था में घुमने की परंपरा युगों से चलीं आ रही है या फिर आज के युग ने नग्न अवस्था में घुमने प्रण लिया है ।
आपने लाखों प्रवचन, सत्संग सुने लेकिन किसी ने भगवद् गीता के इन दृश्यों से अवगत कराया ।गीता का उपदेश देकर यह प्रश्न किया कि यह नग्न अवस्था में घुमने वाले पुरुष कौन हैं ..? क्या नागा साधू का ज्ञान भगवद् गीता से भी श्रेष्ठ है ..? आज कुछ दृश्यों से हम अवगत कराते हैं....
पहला दृश्य :- श्रीकृष्ण बाल्यावस्था में हंसी ठिठोली का खेल खेलते थे । एक दिन उन्होंने नदी पर जाकर कुछ महिलाओं को नहाते हुए देखा ।उन महिलाओं ने अपने वस्त्र निकालकर पेड़ के नीचे रख दिये थे । श्रीकृष्ण ने उन वस्त्रों को लेकर मित्रों के साथ पेड़ पर चढ गए और छुप गए ।
जैसे ही महिलाओं के स्नान के बाद उन्होंने वस्त्रों को देखा तो वह गायब हो गए थे । अब वह नग्न अवस्था में न नदी के बाहर आ सकते थे और अंदर बहुत देर तक रुक सकते थे । वह घर कैसे जाते ? तो वह चिल्लाने लगे हमारे वस्त्र चोरी हो गए लेकिन किसी ने सुना नहीं । वह थोड़ा ठहरें फिर अचानक श्री कृष्ण ने तुम्हारे वस्त्र मेरे पास है ,जो मैंने चोरी किये कहा । वस्त्रों को लेना हो तो नदी से बाहर निकलकर ले लो । तब वह महिलाएं नग्न अवस्था में कैसे बाहर आती।
श्री कृष्ण ने उन्हें उपदेश 👉 दिया कि आज के बाद कोई भी महिला नग्न अवस्था में स्नान नहीं करेगी । सभी महिलाओं को इस बात की भूल हुई और क्षमा याचना की।आज के बाद वह फिर कभी नग्न अवस्था में स्नान नहीं करेगी । उन्होंने महिलाओं के वस्त्र लौटा दिए ।
दूसरा दृश्य :- महाभारत युद्ध के दौरान जब कौरव के काफी युवराज मारे जाते हैं । तब दुर्योधन को डर लगने लगता है । तब शकुनि मामा भांजे दुर्योधन को नग्न अवस्था में मां गांधारी के पास जाने का कहते हैं । उनकी आँखे होने के बावजूद आंखों पर जो पट्टी बंधी थी उस कठोर तपस्या का फल पुत्र दुर्योधन को देना चाहती थी ।जैसे ही दुर्योधन नग्नावस्था में उसकी माँ के पास जाने लगता है ।
श्री कृष्ण ,दुर्योधन को रोक लेते हैं और कहते हैं । हे पार्थ 👉 - जिस मां ने तुम्हें जन्म दिया । उसके समक्ष नग्न अवस्था में जाना उचित है क्या ...?? तब श्री कृष्ण ने दुर्योधन को केले के पान लपेटकर जाने को कहते हैं ।
श्री कृष्ण ने महिलाओं को नग्न अवस्था में स्नान करने और दुर्योधन को नग्न अवस्था में अपनी मां के पास जाने से रोका था । निष्कर्ष यह निकलता है कि नागा साधू किस ग्रंथों के आधार पर नग्न अवस्था में संसार का भ्रमण करते हैं ।
संत महात्मा नग्न अवस्था में प्रवचन ,सत्संग का पाठ पढाते हैं, यह ज्ञान उन्हें कहा से प्राप्त हुआ । जितने भी नागा साधू बने उन्हें किस ग्रंथों से नागा संत की उपाधि ली ।सनातन धर्म तो वस्त्र पहनने पर आधारित है । लोगों को ज्ञान बांटने वाले संत तो स्वयं अज्ञानी ठहरें । स्वयं नग्न अवस्था में रहकर उपदेश देना क्या यह उचित है ..?
नग्न अवस्था में रहना देवताओं की नहीं इस युग के पुरुषों की देन हैं । सभी देवता वस्र और शस्त्रों से सुसज्जित है । तो फिर यह नागा साधू कौन हैं और किस अधिकार से हैं ? हमें यह बंद करना चाहिए ।
इस युग के नागा बाबाओ को भगवद् गीता के श्रीकृष्ण उपदेश देकर बंद करना चाहिए । मनुष्य का जन्म भले ही नग्न अवस्था में हुआ लेकिन मृत्यु नहीं ।
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