हाल ही में वैक्सीन, आक्सीजन और दवाईया पर जीएसटी हटाने की मांग की गई जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया । इस बात पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए ।
वैक्सीन पर जीएसटी 5 फीसदी कम कर देने व टीका महंगा होने के कारण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दिए गए बयान पर विशेषज्ञों ने प्रश्न उठा रहे हैं ।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा देने के लिए जीएसटी की दर पांच फीसदी रखना जरूरी नहीं है । इसे एक फीसदी या इससे भी कम किया जा सकता है ।
जीएसटी विशेषज्ञ बिमल जैन कहते हैंं 👉 वैक्सीन पर जीएसटी को बिना संदेह कम किया जा सकता है । जीएसटी काउंसिल के पास इसके अधिकार है । केन्द्र सरकार को महामारी की आपात स्थिति को देखते हुए जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाई जानी चाहिए और वैक्सीन पर जीएसटी दर को कम करना चाहिए । ताकि लोगों को कम कीमत पर टीका मिल सके ।
इसके लिए जरूरी पड़ने पर टीके में इस्तेमाल होने वाले रॉमटेरियल पर भी दरे घटा देनी चाहिए । आक्सीजन कंसटेटर्स और वेंटीलेटर पर भी 12 फीसदी जीएसटी लग रहा है । इसमें भी कमी की जानी चाहिए ।
वहीं इन्दौर सीए शाखा के चैयरमेन सीए कीर्ति जोशी कहते हैं 👉 जीएसटी इनपुट क्रेडिट के लिए वैक्सीन को पांच फीसदी स्लैब में रखना जरूरी नहीं है । सरकार इसकी दरो को न्यूनतम स्तर पर ले जाकर भी ऐसा कर सकती है । जीएसटी काउंसिल की सिफारिश पर केन्द्र सरकार को यह अधिकार प्राप्त है ।
केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है 👉 कि अगर वैक्सीन को जीएसटी से पूरी छूट दी गई तो उत्पादक इनपुट क्रेडिट टैक्स नहीं ले पाएगें और वह इसका बोझ वैक्सीन की कीमत बढाकर उपभोक्ताओं पर डालेंगे ।
सीए कीर्ति जोशी का कहना है कि जीएसटी काउंसिल वैक्सीन पर टैक्स की दर घटा सकती हैं । मर्चेंट एक्सपर्ट्स की तर्ज पर इसे 0.10 % किया जा सकता है । ऐसा करने पर उत्पादकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट भी मिल जाएगा क्योंकि वस्तु टैक्स फ्री नहीं है ।
वहीं कच्चे माल पर जो अतिरिक्त टैक्स का भुगतान किया जाता है ,उसका इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में उन्हें नगद के तौर पर रिफंड दिया जा सकता है । इससे उत्पादकों पर बोझ नहीं आएगा और टीका सस्ता हो जाएगा ।
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