हाल में भारत में पेट्रोल बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है ,आखिरकार क्यों...??
हाल ही में विपक्ष पार्टियों ने जगह-जगह साइकिल रैली निकाली हैं ,क्या ..?इससे पेट्रोल के दामों में कमी हो जाएगी !क्या सरकार बदलने से पेट्रोल सन् 1971 के दामों पर बिकेगा...??
पडोसी देशों में पेट्रोल सस्ता और भारत में इतना महंगा क्यों ..?पडोसी देशों में क्या पेट्रोल की खदानें है .?और भारत में नहीं !ऐसे ही अनेक प्रश्न उठते है ,अब बात आती है संसाधनों की !क्या यह संसाधन कभी समाप्त नहीं होने वाला है ..?
आज महज़ 800 मीटर भी दूर जाना हो तो हम वाहनों का प्रयोग क्यों करते हैं ..?आज की भावी पीढ़ी में दिखावा ही महत्वपूर्ण क्यों..?
क्या सरकार संसाधनों की कमी पर विचार विमर्श नहीं कर रही है ..?क्या आम नागरिकों का संसाधनों की कमी पर कुछ भी विचार नहीं किया .?क्या आम नागरिकों की कोई जिम्मेदारी नहीं है ..?
निष्कर्ष यह निकलता है ,कि संसाधन प्रचुर मात्रा में है ।पुरे विश्व को ध्यान में रखते हुए दिखावा करना बंद करना चाहिए ।पेट्रोल की कीमतों पर साइकिल रैली मात्र दिखावा है ।कोई रोज साइकिल से आफिस जाता हैं ,बहुत कम ही लोग हैं ।
हाल ही में कांग्रेस ने साइकिल रैली निकाली और कुछ दूरी पर जाने के बाद हाँफते हुए कार से चले गए ।तो फिर वह साइकिल कहा गई उसे बीच रास्ते में छोड़ दिया ।
सरकार ने पेट्रोल डीजल को गंभीरता से लेते हुए सीएनजी, बायोगैस के बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री ने बिजली से चलने वाला ट्रेक्टर लांच किया और टेसला कंपनी ने भारत में इलेक्ट्रिक बिजली से चलने वाली कार लांच की ।
भारत सरकार ने सन् 2030 तक 100% इलेक्ट्रिक वाहन / कार का लक्ष्य भी रखा है ।
संसाधनों को ध्यान में रखते हुए अब हमें बिजली व बायोगैस से चलने वाले वाहनों पर जोर देना होगा ।दिखावा छोड़कर आवश्यकतानुसार वाहनों का प्रयोग करना होगा ।महज 5 किलोमीटर के दायरे में साइकिल से चलने वाला कानून तक बनाना होगा ।
हम सभी का कर्तव्य है ,वोटबैंक के लिए साइकिल रैली नहीं आम जीवन का हिस्सा बनाकर इसका प्रयोग करना होगा॥
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