महान कौन है...??,वैचारिक तथ्य

महान कौन है...??,वैचारिक तथ्य

 काफी लोगों ने यह प्रश्न किया है कि महान कौन हैं ..?? और सोशल मीडिया पर यह पोस्ट कई बार प्रकाशित की जा चुकी हैं, सभी अपना-अपना मत व्यक्त करते हैं ।


आइए.... अब भारत के उन सुप्रसिद्ध उच्चकोटि के महाविद्वानों के प्रश्नों का जवाब देते हैं ...समस्या यह है कि जब यह दोनों पात्र आपके लिए काल्पनिक है और आपने इन्हें देखा ही नहीं तो फिर भीमराव अंबेडकर से इनकी तुलना क्यों ..?? आखिरकार कब उतरेगा यह नशा...

आपने शायद महाभारत और रामायण नहीं पढ़ी होगी, आज हम इस तथ्यों की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या कर देते हैं ...अब हम पहली घटना से अवगत कराते हैं ...

रामायण :- एक वक़्त की बात है, एक महिला अपने घर की ओर लौटते समय संध्या काल का समय था । तेज हवाएँ चलने लगी और बारिश भी होने लगी थी । अब वह महिला घर कैसे जातीं इसलिए उसने एक झोपड़ी का दरवाज़ा खटखटाया । अंदर से एक व्यक्ति आता है और कहता है, मै घर पर अकेला हूँ ,तो महिला कहतीं हैं ! रात्रि होने वाली हैं, तेज हवा और वर्षा भी हो रही है । उसने झोपड़ी वाले से रात में रूकने की प्रार्थना की और उस व्यक्ति ने महिला को ठहरने दिया ।

सुबह जैसे ही वह अपने घर की ओर प्रस्थान करती है, तो आस-पास के पड़ोसी उसे देखते हैं और उस पर घिनौना आरोप लगाते हैं । उसकी पवित्रता पर सवाल उठाए जाते हैं । तो उस महिला को लेकर सभी राजा शत्रुघ्न के समक्ष जाते हैं । कहते हैं - यह महिला उस व्यक्ति के घर रात भर ठहरी इसे कठोर दंड दिया जाए ।

शत्रुघ्न 👉 दोनों पक्षों का सारा वृतांत सुनकर उनके पहले से बनाये कानून-नियमों के तहत किसी अनजान व्यक्ति के घर पर ठहरने पर उस महिला को दो वर्ष तक का वनवास में निवास करने का दंड दिया जाता हैं और राज्य के सैनिकों को उसकी रक्षा का दायित्व सौंपा जाता हैं ।

अब कालचक्र घूमता है, सीता माता के अग्नि परीक्षा देने के बावजूद भी सर्जिकल स्ट्राइक की तरह सबूत मांगे जाते हैं । अब सीता माता पर भी वही व्यक्ति आरोप लगाते हैं जिन्होंने उस महिला को वनवास भेजा था । इन्होंने फिर आरोप लगाया सीता भी तो रावण के घर में कई महीनों तक रहीं । क्या राजा अब न्याय करेंगे सीता को भी वनवास भेजेंगे ..?? तरह-तरह आरोप लगाये जा रहे थे । फिर सीता माता ने गुप्तचरों को भेजा राज्य में क्या आरोप लगाये जा रहे हैं ,यह पता करने के लिए । गुप्तचरों ने सारा वृतांत सुनाया तब सीता माता ने स्वयं बनाये गये नियमों के मुताबिक गर्भावस्था में होने के बावजूद भी वनवास में जाने का निश्चय किया ।

उस समय अत्याधुनिक मशीनें तो थीं नहीं कि इन दोनों महिलाओं पर जो लोगों ने आरोप लगाया है, मेडिकल परीक्षण कर सबूत पेश कर सके ,ताकि उनकी पवित्रता पर कोई भी लाक्ष्ण नहीं लगा सकें ।

इसलिए इन दोनों महिलाओं को पूर्व से बने कानूनों के तहत वनवास भोगना पड़ा, अब आपको पता लग गया कि इन दोनों महिलाओं पर आरोप वहां के मूलनिवासी लोगों ने लगाया । इसमें श्रीराम जी का कोई दोष नहीं था ...

अब दूसरी घटना 👉

महाभारत :- पहला दृश्य 👉 एक समय की बात है, कुछ महिलाएँ नग्न अवस्था में नदी में स्नान कर रहे थे । तब वहां बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण ने उन महिलाओं के वस्त्र चुराकर छिप गये थे । जब महिलाओं ने स्नान करने के पश्चात अपने वस्त्र देखे तो वह गायब हो चूके थे । अब वह नग्नावस्था में घर की ओर किस मुंह से जाते इसलिए वह चिल्लाने लगे ।

तभी श्रीकृष्ण ने कहा तुम्हारे वस्त्र मेरे पास है । लगे तो अपने वस्त्र पेड़ पर चढकर ले जाओ, लेकिन वह नग्नावस्था में नदी के बाहर आते कैसे ...? तब श्री कृष्ण ने वस्त्र वापस लौटाने के लिए एक शर्त रखी । 

भविष्य में कभी भी आप नग्नग्नावस्था में नदी में स्नान नहीं करेगी । सभी उनकी शर्त मानकर उनसे क्षमा याचना करते हैं । उसके बाद श्री कृष्ण वस्त्र लौटा देते हैं ।

दूसरा दृश्य  👉 जब दुयोर्धन नग्नावस्था में अपनी मां के समक्ष जाते हैं । तब यौवनावस्था में श्रीकृष्ण उसका मार्ग रोकते हैं ! कहते हैं,  हे पार्थ ! जिस अवस्था में तुमने अपनी मां के गर्भ से जन्म लिया क्या ..? यौवनावस्था में भी मां के समक्ष नग्नावस्था में जाना उचित होगा .? यह संसार क्या कहेगा तुम्हें ..?? श्रीकृष्ण ने उन्हें केले के पान लपेटकर जाने को कहा ...

इन दोनों दृश्यों में श्रीकृष्ण ने महिलाओं को नग्न अवस्था में स्नान करने और दुर्योधन को नग्न अवस्था में मां के समक्ष जाने से रोका था । तो इसमें श्री कृष्ण का कोई दोष नहीं था ...

अब बात है, भीमराव अंबेडकर की ऐसा कौन..? सा महान कार्य किया महिलाओं के लिए, 1950 के संविधान में ऐसा कौन सा कानून बनाया महिलाओं के लिए ...

जब पाकिस्तान से भरी आ रही ट्रेनों मे बलात्कार हुआ महिलाओं का ! क्या..? उखाड़ लिया था भीमराव अंबेडकर ने उनका । 1990 में कश्मीर की महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ ! क्या...? उखाड़ लिया भीमराव के संविधान ने उनका ...

यदि रामायण और महाभारत के समय वोटबैंक राजनितीज्ञ नेता होते तो कहते रावण और दुशाशन बेगुनाह है ! कृपया सीबीआई जांच हो ...सुप्रीमकोर्ट और हाइकोर्ट के जज कहते रावण और दुशाशन के अंदर एक मासूम दिल है, इन्होंने क्रोध में आकर किया । कृपया इन्हें सुधरने का एक मौका दिया जाए । ताकि यह कृत्य पुनः कर सके और कोर्ट में दलीलें पर दलीलें चलते रहे ।

एक ने अपहरण तो दूसरे ने निर्वस्त्र करने का प्रयत्न किया तो उनका साथ देने वाले और उनकी पैरवी करने वाले सभी का वध कर दिया था रामायण व महाभारत में ।

लेकिन यहां प्रत्येक क्षण दुष्कर्म की घटनाएँ होती हैं, पेट्रोल डालकर आग लगा दी जाती है और तो और एसिड तक फेका जाता है । लेकिन होता क्या है ..?? मोमबत्तियां जला लिया, चौराहे जाम कर दिया, काला दिन मना लिया ,पोस्टर टांग दिया उधर आरोपी छूट गया, फांसी टल गई जातिवाद निकाल लिया ।

श्रीराम जी ने महिला के अपहरण करने पर रावण का वध किया था वो भी उसके राज्य में जाकर । अर्जुन ने निर्वस्त्र करने वाले व तमाशा देखने वाले सभी सगे-संबंधी का वध किया था ।

लेकिन भीमराव अंबेडकर जिससे तुलना की जातीं हैं । क्या संविधान ने दुष्कर्मियों का वध किया . ?? उसकी पैरवी करने वाले वकील का वध किया ..?? तो फिर महिलाओं के लिए क्या ..??

संक्षेप में इतना ही ...



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