क्या साईं भगवान था जानिए विस्तार से और अपने भ्रम को दूर करें, वैचारिक तथ्य

क्या साईं भगवान था जानिए विस्तार से और अपने भ्रम को दूर करें, वैचारिक तथ्य

आप साईं बाबा के बारे में जानते हैं कि इनको भगवान का दर्जा दिया जाता हैं, दान के मामलों में तिरुपति बालाजी के बाद दूसरा स्थान आता है । हर वर्ष विश्वभर से दर्शन के लिए लाखों लोग आते हैं । लेकिन बहुत कम लोग जो साईं बाबा के बारे में जानते है । आज हम साईं बाबा के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे । 


पहले हम साईं बाबा के जन्म के बारे में थोड़ी जानकारी देते हैं । साईबाबा जिनका असली नाम चांद मियाँ हैं ,वह एक मुस्लिम थे ।

पिता का नाम  :- बद्दरूद्दीन (अफगानी )

माता का नाम :- एक वेश्या ( अहमदनगर राज्य महाराष्ट्र )

जन्म दिनांक :- 1835

मृत्यु दिनांक :- 1918 ( कैंसर के कारण )



साईं बाबा यह कहानी कहा से प्रारंभ हुई उस जगह पर चलते हैं । एक वक़्त की बात है साईं उर्फ चांद मियाँ उनका पैशा कपड़ा बेचना था वह कपड़े की फेरी करके बेचकर अपना जीवन यापन करते थे । वह जिस रास्ते से जाते थे वहाँ एक मजार पड़ती थी, मजार पर सेवा करते थे । 

मजार पर रहने वाले मौलवी ने चांद मियाँ के सेवा भाव से खुश होकर उसे एक गधा दिया ताकि वह अपने कपड़े गधे पर लादकर फेरी कर सके । अब एक दिन वह गधा मर जाता है ,साईबाबा एक कब्र खोदकर उस गधे को गाड देता है । उसके पास बैठकर वह रोने लगता है । तभी राहगीर से चलते एक नौजवान युवक की नजर चांद मियाँ पर पढ़ती है । 

युवक कहता है बाबा क्या हुआ आप रो क्यों रहे हो ..? लेकिन बाबा कुछ कह नहीं पाते । वह लड़का नौकरी के इंटरव्यू के लिए जाता है तो जाते जाते कहता है बाबा यदि मुझे नौकरी लग गई तो मै तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूंगा । अब जब लड़के को नौकरी लग जातीं हैं तो वह साईं बाबा के पास आता है । साईबाबा के कहने पर जो गधा मरा था वहा एक मजार बना देता है ।

कुछ दिनों बाद वहां लोग चादर चढाने आते हैं और फिर भीड़ उमड़ने लगतीं हैं । अचानक एक दिन जिस व्यक्ति ने यह गधा चांद मियाँ को दिया था वह आ जाता है । तो साईबाबा उसके पास जाते हैं और कहते हैं वह गधा मर गया तो उसकी मजार बना दी । अब जिंदा रहने पर कपड़ा फेरी करके जीवन यापन किया और उसी के मरने पर मजार बना दिया ।

तभी जिसने साईबाबा को गधा दिया था उसने भी राज की बात बता दी जब फेरी के वक्त जब मजार पर रुकता था और सेवा करता था । वह मजार इसकी मां की हैं । अब आप कहानी से समझ गए कि लोग गधों की मजार पर चादर चढाकर मन्नत मांगते थे । साईबाबा घर-घर जाकर गांव में भिक्षा लेता था । वह गांव के पास एक मस्जिद में 60 वर्ष तक रहा था ।

इसी तरह आस - पास के गांव के लोग मजार पर आने लग गए थे । लोग मन्नत मांगते यदि दस ने मांंगी दो की पुरी हुई नहीं तो आठ फिर मन्नत मांगने जाते थे । उन्होंने जिंदा रहते हुए एक किताब लिखवायी जिसका नाम साईचरित्र है रामानंद सागर ने भी इनके चमत्कारों को बढा -चढाकर बताया है । यदि आप साईचरित्र पढ लेंगे । उसी दिन से साईबाबा को भगवान मानना बंद कर देगे । यह अकबर के अकबरनामा अबुल फज़ल की तरह झूठी व चापलूसी की तरह है । आइए आज हम साईचरित्र के कुछ तथ्यों से अवगत कराते हैं 👉

साईबाबा कहते हैं उनके पैरों के नीचे से जमुना, गंगा, सरस्वती नदी बहती है । तो फिर शिर्डी में ऐसी नदी कहा है । विदर्भ सबसे सूखा ग्रस्त हैं तो वहां नदियाँ क्यो नहीं निकाल दी । राम और कृष्ण भी भगवान थे लेकिन इनके बारे में पैरों से नदी बहने के चमत्कारों के बारे में लिखा है ही नहीं । महाराष्ट्र में पानी ट्रेनों के माध्यम से लाया जाता है  । साईबाबा जिस गांव में भीख मांगते थे वही नदी नहीं बहा सके ।

साईबाबा उर्फ चांद मियाँ किसी भी महिला को अपशब्द कहते थे और गुलाल खेलने से मना करते थे । हिंदू धर्म में होली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है । राम और कृष्ण ने भी होली मनाई थी । फिर चांद मियाँ को गुलाल से इतनी नफ़रत क्यो थी ..?लोग तो उन्हें हिन्दू कहकर ही तो मंदिरों में बिठाते हैं ।

कहते साईबाबा मांस खाते थे गांजा पीते थे और हफ्तों महिनो तक नहाते नहीं थे । साफ-सफाई भी नहीं रखते थे । क्या हिंदू के देवी देवता इस तरह थे ? रामायण और महाभारत में मांस खाने वालों को पापी कहा है । कई श्लोक लिखे हैं । पशुओ को मारकर खाने वालों को पापी कहा जाता था ।

साईबाबा उर्फ चांद मियाँ उनके मुख पर सदा अल्लाह का नाम रहता था जो लोग उन्हें महादेव का अवतार कहते हैं । उन्होंने तो जीवन में भी किसी भगवान का नाम नहीं लिया जबकि अपशब्द कहे । गांव के लोगों ने अजान का विरोध किया था तो वह अल्लाह हू अकबर कहकर लोगों को अपशब्द और भला बुरा कहने लगे ।

साईचरित्र में कहा गया कि उन्होंने एक आदमी का हैजा ठीक किया था वह बहुत बड़े वैघ थे । यदि ऐसा होता तो वह सारी जिंदगी भर खाँसते रहे उन्हें सर्दी-जुकाम हमेशा रहता था । वह शरीर पर चोट आने पर जगह-जगह चिंदिया लपेटते थे । अंत में वह कैंसर से पीड़ित होकर मर गए । यदि ऐसा रहता तो वह वैघ होते हुए भी स्वयं का इलाज नहीं कर पाए । 

वह कहते थे मेरे मरने के बाद मेरी कब्र भी बात करेगी । मेरी कब्र पर आकर मन्नत मांगने वाले की इच्छा पूरी होगी और मेरे नाम मात्र से हर बिमारी ठीक हो जाएगी । तात्पर्य जो मन्नत नहीं मांगेगा उसके कार्य जीवन में कभी पूरे नहीं होंगे । यह तो मनगढ़ंत तथ्य है । आज भारत में हजारों लोगों की मौत कोरोना से हो रही है तो उनकी कब्र क्यो नहीं इलाज करतीं लोगों का । यह तो झूठा साबित हुआ ।

जब साईबाबा उर्फ चांद मियाँ इतने प्रसिद्ध थे इनका नाम समाचार पत्र में क्यों नहीं आया ..? चांद मियाँ भगवान थे तो अंग्रेजों से युध्द क्यो नहीं लड़ा ..? उस समय जगह-जगह भारत में आंदोलन हो रहे थे तब चांद मियाँ गांव में हाथ-पैर पर चिंदिया लपेटने में व्यस्त थे ।

अंग्रेजों से लड़ते हुए लोकमान्य तिलक, चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सुभाष चंद्र बोस, बालगंगाधर तिलक, सरोजनी नायडू ,मंगल पांडे, खुदीराम बोस शहीद हो गए तब चांद मियाँ प्रसिद्ध क्यो नहीं हुए ..??

विश्व प्रसिद्ध लोकमान्य तिलक जिन्होंने 1893 ई में गणपति उत्सव और  1895 ई में शिवाजी उत्सव मनाना प्रारंभ किया । जिसका तोड़ अंग्रेजों के पास भी नहीं था । जनरल डायर ने जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड में हजारों लोगों को गोलियों से भून दिया लेकिन गणपति उत्सव में इतनी भीड़ के बावजूद भी वह कुछ नहीं कर पाए । 

ऐसे महान ज्ञानी लोकमान्य तिलक की कितने मंदिरों में उनकी मूर्ति बनाई गई है जबकि साईबाबा उर्फ चांद मियाँ जिसने अपने जीवनकाल में कुछ भी नहीं किया हजारों मंदिर बन गए । मंदिरों में चांद मियाँ नहीं लोकमान्य तिलक चाहिए अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद होने वाले महापुरुष 

हिंदू देवी-देवताओं के पास शस्त्र थे लेकिन चांद मियाँ के पास कौन सा शस्त्र था ..?? जिन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता हैं भारत में । किसी भी देवता कि मृत्यु और समाधी का प्रमाण नहीं है शास्त्रोक्त में । फिर साईबाबा तो कैंसर से मरा था और समाधी बनीं थीं । जबकि किसी देवता की न तो मृत्यु हुई है और न ही कोई बिमारी और न ही कोई समाधि 

 आज से कुछ साल पहले एक पेज लिखा आता था । जिसमें साईबाबा उर्फ चांद मियाँ के बारे में लिखा होता था । इसे पढ़ने के बाद 100,1000 प्रतिलिपियां बनाए और लोगों को बांटे नहीं तो तुम्हारी मनोकामना पूर्ण नहीं होगी । देखते ही देखते हजारों से लाखों लोग चांद मियाँ की शिर्डी पहुंचने लगे । जिसने अपने जीवनकाल में भीख माँगकर खाया । आज उसी के पास भीख मांगने के लिए जाते हैं ।

यह तो अभी गुरु घंटालो की तरह प्रसिद्ध हुआ लेकिन लोकमान्य तिलक कल भी प्रसिद्ध थे और आज भी । दुर्भाग्य मंदिर चांद मियाँ के बने हुए, अंग्रेजों से लड़ने वाले लोकमान्य तिलक के नही

संक्षेप में इतना ही ...

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