हाल ही में विश्वभर के वैज्ञानिक या कहें किसान मिट्टी की गुणवत्ता जांचने के लिए सभी अलग-अलग प्रयोग कर रहे हैं ।
आमतौर पर विशेषज्ञ लेब में या फिर खेतों में जाकर ही मिट्टी की जांच करते हैं । लेकिन आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में उन्होंने अनूठा तरीका इस्तेमाल किया है ।
इसमें वह सूती कपड़े को मिट्टी में दबाकर उसकी गुणवत्ता का परीक्षण कर रहे हैं । जो काफी हद तक सटीक भी पाई गई है । राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे इस प्रयोग में किसानों के साथ स्कूली छात्रों को भी शामिल किया गया है ।
सिटीजन साइंस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को इस तरह के सूती कपड़े खेतों में गाड़ने के लिए दिए जा रहे हैं । साथ ही साथ टी-बैग भी दिए जा रहे हैं, ताकि तुलना की जा सके कि दोनों में किसे कितना नुकसान हुआ है ।
उन्हें एक हफ्ते या एक महीने बाद निकालकर देखा जाता है कि कपड़ा कितना नष्ट हुआ है । इसके डिजीटल विश्लेषण से पता चलता है कि मिट्टी की गुणवत्ता कैसी है और वह कितनी उपजाऊ है ।
दरसअल सूत या कहें कपास एक तरह की चीनी से बना होता है जिसे सेल्यूलोज कहा जाता है । ऐसे में यह जमीन के नीचे रहने वाले बैक्टीरिया या रोगाणुओं के लिए एक स्वादिष्ट भोजन का काम करता है । इस प्रयोग में शामिल स्कूल आफ एनवायरमेंट साइंस के प्रोफेसर ओलिवर नाक्स कहते हैं 👉 हमने शुरुआत में 50 किसानों को शामिल किया था ।
अब न केवल दूसरे किसान भी कर रहे हैं बल्कि प्रतिस्पर्धा भी कर रहे है । वह दूसरे किसानों से कहते हैं देखो मेरी मिट्टी आपकी मिट्टी से कई ज्यादा बेहतर है ।
जितना ज्यादा कपड़ा नष्ट होगा उतनी ही ज्यादा आपकी जमीन उपजाऊ रहेगी ।
0 टिप्पणियाँ