हाल ही में भारतीय मूल की महिला पत्रकार मेघा राजगोपालन को पुलिजित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । यह पत्रकारिता जगत में सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है । अमेरिका का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी है ।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स के जरिए विश्व के समक्ष चीन के डिटेंशन कैंपों की सच्चाई रखीं थीं । उन्होंने सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण के माध्यम से बताया कि कैसे चीन लाखों उइगर मुसलमानों को कैद कर रखा है । चीन ने इन दावों को खारिज कर दिया था । साथ ही साथ राजगोपालन का विजा भी रद्द कर दिया था ।
जानकारी के मुताबिक चीन ने 2017 में लाखों उइगर मुसलमानों को कैद कर रखा था । तब राजगोपालन इंटरनेशनल शिविरों का दौरा करने वाली पहली व्यक्ति थी । चीन ने इन्हे चुप कराने की कोशिश की थी । लंदन में रहकर पत्रकारिता कर रहीं मेघा ने भी चुप रहने से मना कर दिया था और अपने दो साथियों के साथ मिलकर चीन के झूठे दावों को बेनक़ाब कर दिया ।
बजफीड न्यूज के चीफ इन एडीटर मार्क शॉप ने शिजिंयाघ प्रांत की कहानियों में बताया कि हमारे समय का सबसे खराब मानव अधिकारों का हनन था । मेघा को जब बजफीड न्यूज ने जानकारी दी तो उन्हे इस बात का शॉक लगा उन्हें पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । उन्हें और उनकी टीम को यह भरोसा भी नहीं हो रहा है ।
इसके अलावा दो व्यक्तियों में एक तंपा के नील बेदी को लोकल रिपोर्ट्स के पुलिजित्ज़र पुरस्कार दिया गया है तथा दूसरा कैथलीन मैकग्रारी को आफिस के पहल को उजागर करने के लिए सम्मानित किया गया है ।
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