मोटिवेशन इन हिंदी

मोटिवेशन इन हिंदी

आपने काफी सारे मोटीवेशन पढे होंगे, कुछ मोटीवेशन कोट्स आज हम इस तरह पढ़ेंगें जिसमें स्वयं और प्रकृति से जुड़े तथ्यों के बारे में अवगत होंगे, इन दस कोट्स से आपको एक नई सीख मिलेगी । कृपया अंत तक पूरा पढ़े और आपको यदि कोट्स अच्छे लगे तो शेयर और टिप्पणी भी करे । चले फिर कोट्स की शुरुआत करते हैं ...

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पहला 👉 आपने काफी लोगों को ज्ञान बांटते हुए देखा होगा उदाहरण के तौर पर कोई लड़का जब सरकारी भर्तियों की तैयारीयों में जुट जाता है, तब वह असफल हो जाता हैं ,तो दूसरो को पढाकर मोटीवेशन देता है । लेकिन यह सोचा कभी आपने स्वयं पर कितना ध्यान दिया । सत्संग भी कुछ ऐसा ही है । इसलिए जीवन में सफल होने के बाद ही आप मोटीवेशन दे सकते हैं अन्यथा नहीं । इसलिए कहा गया है सबसे पहले स्वयं पर ध्यान दो उसके बाद ओरो को ज्ञान दो ...


दूसरा 👉 काफी लोग महामारी के चलते घर पर बैठे हुए हैं फिर भी कहते हैं ,मेरे पास समय नहीं है । लेकिन आजतक वक्त का सदुपयोग किया ही नहीं । समय का सही आकलन तो वही कर पाता है ,जो असंभव को भी संभव बना देता है । कामयाबी भी समय का सदुपयोग करने वाले को ही मिलती हैं ।


तीसरा 👉 काफी लोग होते है ,जिनके पास अनुभव की बहुत ज्यादा कमी होती हैं । जब वह सलाह दे भी दे तो व्यर्थ हो जातीं हैं । इसलिए कहा गया है कि आप तब तक किसी को सलाह या कहें ज्ञान नहीं दे सकते जब तक सुंदर पिचाई की तरह किसी कामयाबी के शिखर पर पहुंच नहीं जाते ।

क्योंकि कहते हैं न ,अज्ञानी की बातों पर ठहाके तो सभी लगा लेते हैं लेकिन जब वह ज्ञानी हो जाता हैं तो उसी के समक्ष नतमस्तक होना पड़ता है । वह ठहाका ही उसकी कामयाबी की पहली सीढ़ी तय कर देता है ।


चौथा 👉 कहते हैं हर तीसरा व्यक्ति समस्या से जूझ रहा है और आत्मदाह कर समाचारों की सुर्खियों में भी आ जाता हैं । लेकिन क्या यह समस्या मृत्यु से ही समाप्त हो जाती हैं नही । क्योंकि जब तक शरीर में प्राण है ,तब तक समस्या ही समस्या है ।

इतिहासकारों ने समस्या का डटकर समाधान ढूंढने वालों का लिखा हुआ है ,समस्या को देखकर आत्महत्या करने वालों का नहीं । हमें समस्या को जड से समाप्त करना है, अमूल्य जीवन को नहीं ...


पांचवा 👉 जीवन में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं ,जो स्वयं की ही कमियों की वजह से खराब होते है और आरोप भगवान पर लगा देते हैं । जीवन के इस भागदौड़ के दौर में परिवर्तन तो स्वयं ही लाना है, भगवान को नहीं । कर्म तो हमें करना है और रिश्तों में मिठास भी बनाए रखना है ।


छठवां 👉 अकसर काफी लोग कहते हैं ,कोई किसी का नहीं होता यह सब भ्रम है । लेकिन यह कभी नहीं सोचा हम कब किसके काम आयें ..??  कहते हैं न इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी । यदि सम्मान चाहते हो तो आपको भी ओरो को सम्मान देना पडेगा ।


सातवां 👉 गजब की दुनिया में कभी-कभार अपनी तारिफ स्वयं ही करना पड़ती हैं जनाब । क्योंकि लोगों को आजकल बुराई करने से फुर्सत ही कहा है । यदि मुख पर कोई बुराई कर भी दे तो नम्र भाव से सुनकर उन कमियों को दूर करें । क्योंकि भविष्य में तारीफ के लिए शब्द भी कम पड़ जायेंगे ।

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आठवां 👉 काफी लोग होते है ,जो स्वयं की किस्मत को दोष देते हैं । उससे कई बेहतर आप उन कमियों को दूर करो फिर पुनः प्रयत्न करो । किस्मत भी कालचक्र का पहिया घुमाकर एक दिन कामयाबी के शिखर पर पहुंचने का मौका अवश्य देगीं ।


नौवां 👉 काफी लोग होते है ,जो अपने माता-पिता को वृध्दा आश्रम छोड़कर आते हैं और मृत्यु के उपरांत झूठा विलाप करते हैं । इसलिए कहते हैं जीतें जी मां-बाप की सेवा और कंधा दे दिया करो । मृत्यु के उपरांत कंधा देना भी आपका व्यर्थ ही कहलायेगा । क्योंकि वह कौन से उठकर देखने वाले हैं कि आप कंधा दे रहे हो । जनाब जब कालचक्र का पहिया घुमता है ,तो आपका बेटा भी यही शिक्षा का पात्र बनता है । यदि आपने बबूल का पेड़ लगाया है तब तो उस पर कांटे ही मिलेंगे ।


दसवां 👉 यदि हमें संस्कारों में वृक्षों को संजोए रखने की सीख मिली होती तो हमें मशीनी आक्सीजन का इस्तेमाल करना ही नहीं पड़ता । हमारी टेक्नोलॉजी शिक्षा की आवश्यकताओं ने वृक्षों का दोहन किया है । क्योंकि वेदों को तो प्रकृति प्रिय थी ,लेकिन आधुनिक शिक्षा पद्धति को नहीं । वह तो बस सोशल मीडिया का स्टेटस बनकर रह गया है 


आपको इन मोटीवेशन से कोई सीख मिली हो तो अवश्य टिप्पणी करें ताकि और इससे बेहतर मोटीवेशन देने में सक्षम हो पाए । आपका जवाब ही भविष्य के कोट्स निर्धारित करेगा ।

संक्षेप में इतना ही ....🙏🙏

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